Falak Bola Khuda Ke Noor Ka

Shevan Rizvi

फलक बोला खुदा के नूर का में आशियाना हू
ज़मीन बोली उन्ही जलवो का मै भी अश्ताना हु
फलक बोला फलक बोला खुदा के नूर का में आशियाना हू
ज़मीन बोली ज़मीन बोली उन्ही जलवो का मै भी अश्ताना हु
फलक बोला फलक बोला खुदा का हुस्न है मेरी फजाओ मे
ज़मी बोली खुदा मोजूद है मेरी हवाओं में फलक बोलै
फलक बोला फलक बोला घटाओ ने मेरी तुझको घटाया है
ज़मी बोली मेरे रब ने मुझे झुकना सिखाया है
ज़मी बोली मेरे रब ने मुझे झुकना सिखाया है
फलक बोला फलक बोला मेरे सूरज की किर्ने तुझ पे पड़ती है
ज़मी बोली
ज़मी बोली मेरी आहे तेरा दामन पकड़ती है
फलक बोला

आ आ आ आ आ आ आ

फलक बोला सितारो से चमकता है मेरा दामन
ज़मी बोली के फुलो से महकता है मेरा गुलशन
फलक बोला
फलक बोला तेरे फुलो के उपर मेरी शबनम है
ज़मी बोली ज़मी बोली खुदा के दर से मेरी आँख पूर्णम है
फलक बोला फलक बोला के कितना हुस्न मेरी चकशा मे है
ज़मी बोली के कितना दर्द मेरी दस्ता मे है
फलक बोला फलक बोला के मुझसे शमा रोशन चाँद ने की है
ज़मी बोली के मुझको रोशनी ईमान ने दी है
ज़मी बोली के मुझको रोशनी ईमान ने दी है
फलक बोला फलक बोला तेरा सीना गुनेगारहो की बस्ती है
ज़मी बोली ज़मी बोली गुनाहो पर मेरे रहमत परस्ती है
फलक बोला

Wissenswertes über das Lied Falak Bola Khuda Ke Noor Ka von Mohammed Rafi

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Das Lied “Falak Bola Khuda Ke Noor Ka” von Mohammed Rafi wurde von Shevan Rizvi komponiert.

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