Gham Ki Raat Kate

Chitragupta, Rajinder Krishnan

कांटो पे चल के पाँव के छालों से क्या गिला
मांगी थी खुद ही रात
उजालो से क्या गिला

कही से मौत को लाओ
के ग़म की रात कटे
कही से मौत को लाओ
के ग़म की रात कटे
मेरा ही सोग मनाओ
के ग़म की रात कटे
कही से मौत को लाओ
के ग़म की रात कटे

करे न पीछा मेरा
ज़िन्दगी को समझा दो
करे न पीछा मेरा
ज़िन्दगी को समझा दो
ज़िन्दगी को समझा दो
ये राह उसको भुला ो
के ग़म की रात कटे
कही से मौत को लाओ
के ग़म की रात कटे

कहो बहारो से अब
शाख़ इ दिल न होगी हरी
कहो बहारो से अब
शाख़ इ दिल न होगी हरी
शाख़ इ दिल न होगी हरी
खिज़ा के गीत सुनाओ
के ग़म की रात कटे
कही से मौत को लाओ
के ग़म की रात कटे

न चारागर की ज़रूरत
न कुछ दवा की है
न चारागर की ज़रूरत
न कुछ दवा की है
न कुछ दवा की है
दुआ को हाथ उठाओ
के ग़म की रात कटे
कही से मौत को लाओ
के ग़म की रात कटे

Wissenswertes über das Lied Gham Ki Raat Kate von Mohammed Rafi

Wer hat das Lied “Gham Ki Raat Kate” von Mohammed Rafi komponiert?
Das Lied “Gham Ki Raat Kate” von Mohammed Rafi wurde von Chitragupta, Rajinder Krishnan komponiert.

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