Ghame-Hasti Se Bas Begana Hota

ROSHAN, ANAND BAKSHI

ग़म ए हस्ति से बस बेगाना होता
ख़ुदाया काश मैं दीवाना होता
ग़म ए हस्ति से बस बेगाना

चली आती क़यामत अंजुमन में
चली आती क़यामत अंजुमन में
गुलों को आग लग जाती चमन में
अलग बैठा

अलग बैठा कोई मस्ताना होता
ख़ुदाया काश मैं दीवाना होता
ग़म ए हस्ति से बस बेगाना

जो देखा है सुना है ज़िन्दगी में
जो देखा है सुना है ज़िन्दगी में
वो बनके दर्द रह जाता न जी में

फ़क़त एक ख्वाब

फ़क़त एक ख्वाब एक अफसाना होता
ख़ुदाया काश मैं दीवाना होता
ग़म ए हस्ति से बस बेगाना

उसी दीवानगी में बेखुदी में
उसी दीवानगी में बेखुदी में
न खुलती आँख सारी
ज़िन्दगी में सदा गर्दिश में

सदा गर्दिश में एक पैमाना होता
ख़ुदाया काश मैं दीवाना होता
ग़म ए हस्ति से बस बेगाना होता
ख़ुदाया काश मैं दीवाना होता

Wissenswertes über das Lied Ghame-Hasti Se Bas Begana Hota von Mohammed Rafi

Wer hat das Lied “Ghame-Hasti Se Bas Begana Hota” von Mohammed Rafi komponiert?
Das Lied “Ghame-Hasti Se Bas Begana Hota” von Mohammed Rafi wurde von ROSHAN, ANAND BAKSHI komponiert.

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