Gunahon Ka Chirag Kabhi

Bharat Vyas

डोर सचाई की दुनिया में
कभी न सकती तूट
घड़ा पाप का भर जाता जब
खुद ही जाता फुट

गुनाहों का चिराग (गुनाहों का चिराग)
कभी जल न सकेगा (कभी जल न सकेगा)
पापीओ का पाप कभी (पापीओ का पाप कभी)
फल न सकेगा (फल न सकेगा)
चिराग जल न सकेगा (चिराग जल न सकेगा)
चिराग जल न सकेगा (चिराग जल न सकेगा)
चिराग जल न सकेगा (चिराग जल न सकेगा)
चिराग जल न सकेगा (चिराग जल न सकेगा)

एक बार तुम बजालो
डंके अपने गीत के
एक बार तुम बजालो
साज अपने गीत के

साज अपने गीत के

एक बार तुम बजालो
गीत चाहे प्रीत के
बज सकेंगे नहीं
धुन तुम्हारी प्रीत की

धुन तुम्हारी प्रीत की

सत्य का ये सूर्य कभी
ढल न सकेगा
पापीओ का पाप कभी
फल न सकेगा
चिराग जल न सकेगा
चिराग जल न सकेगा
पाप फल न सकेगा
ये सूर्य ढल न सकेगा

छल कपट भरा है
यहाँ जिनकी चाल ढ़ाल में
जिनकी चाल ढ़ाल में
(?)
अपने मस्त हाल में
है अभी तो बहुत
फसेंगे अपने जाल में

फसेंगे अपने जाल में (फसेंगे अपने जाल में)
उनका शर्मनाक अंत टल न सकेगा (उनका शर्मनाक अंत टल न सकेगा)
पापीओ का पाप कभी (पापीओ का पाप कभी)
फल न सकेगा (फल न सकेगा)
चिराग जल न सकेगा (चिराग जल न सकेगा)
चिराग जल न सकेगा (चिराग जल न सकेगा)
पाप फल न सकेगा (पाप फल न सकेगा)
अंत टल न सकेगा (अंत टल न सकेगा)
गुनाहों का चिराग (गुनाहों का चिराग)
कभी जल न सकेगा आ आ आ

Wissenswertes über das Lied Gunahon Ka Chirag Kabhi von Mohammed Rafi

Wer hat das Lied “Gunahon Ka Chirag Kabhi” von Mohammed Rafi komponiert?
Das Lied “Gunahon Ka Chirag Kabhi” von Mohammed Rafi wurde von Bharat Vyas komponiert.

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