Hamen Duniya Ko Dil Ke Zakham

Asad Bhopali

हमें दुनिया को दिल के ज़ख़्म दिखलाना नहीं आता
हमें दुनिया को दिल के ज़ख़्म दिखलाना नहीं आता
तड़प लेते हैं लेकिन उनको तड़पाना नहीं आता
हमें दुनिया को दिल के ज़ख़्म दिखलाना नहीं आता

घड़ी भर के लिये भी दूर उनसे रह नहीं सकते
तुम्हें हम चाहते हैं उनसे ये भी कह नहीं सकते
ना जाने क्यूँ ज़ुबाँ पर दिल का अफ़साना नहीं आता
हमें दुनिया को दिल के ज़ख़्म दिखलाना नहीं आता

कोई हालत हो दुनिया प्यार की आबाद रहती है
कभी जब वो नहीं होते तो उनकी याद रहती है
मोहब्बत वो कली है जिसको मुरझाना नहीं आता
हमें दुनिया को दिल के ज़ख़्म दिखलाना नहीं आता

उमंगें जाग उट्ठी हैं तमन्ना मुस्कराई है
हमारे दिल ने अरमानों की इक महफ़िल सजाई है
ये वो महफ़िल है जिसमें कोई बेगाना नहीं आता
हमें दुनिया को दिल के ज़ख़्म दिखलाना नहीं आता
हमें दुनिया को दिल के ज़ख़्म दिखलाना नहीं आता
तड़प लेते हैं लेकिन उनको तड़पाना नहीं आता
हमें दुनिया को दिल के ज़ख़्म दिखलाना नहीं आता

Wissenswertes über das Lied Hamen Duniya Ko Dil Ke Zakham von Mohammed Rafi

Wer hat das Lied “Hamen Duniya Ko Dil Ke Zakham” von Mohammed Rafi komponiert?
Das Lied “Hamen Duniya Ko Dil Ke Zakham” von Mohammed Rafi wurde von Asad Bhopali komponiert.

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