Hue Ham Jinke Liye Barbad

NAUSHAD, SHAKEEL BADAYUNI, Shakeel Badayuni

आ आ हा हा हा हा
असीर-ए-पंजा-ए-अहद ए-शबाब कर के मुझे
कहाँ गया मेरा बचपन खराब कर के मुझे
ऐ ऐ ऐ ऐ ऐ ऐ
हुए हम जिनके लिए बरबाद
वो हमको चाहे करें न याद
जीवन भर
जीवन भर उनकी याद में
हम गाए जाएंगे
गाए जाएंगे

एक ज़माना था वो पल भर हमसे रहे न दूर
हमसे रहे न दूर
एक ज़माना था वो पल भर हमसे रहे न दूर
हमसे रहे न दूर
एक ज़माना है के हुए हैं मिलने से मजबूर
मिलने से मजबूर
एक ज़माना है के हुए हैं मिलने से मजबूर
मिलने से मजबूर
वो ग़म से लाख रहे आज़ाद
सुने न दर्द भरी फ़रियाद
अफ़्साना
अफ़्साना हम तो प्यार का
दोहराए जाएंगे
गाए जाएंगे

मैं हूँ ऐसा दीपक जिस में ऐ ऐ ऐ
मैं हूँ ऐसा दीपक जिस में न बाती न तेल
न बाती न तेल
बचपन बीता बनी मोहब्बत चार दिनों का खेल
चार दिनों का खेल
बचपन बीता बनी मोहब्बत चार दिनों का खेल
चार दिनों का खेल
रहे वो दिल का नगर आबाद
बसी है जिस में किसी की याद
हम दिल को
हम दिल को उनके याद से
बहलाए जाएंगे
गाए जाएंगे
हुए हम जिनके लिए बरबाद
वो हमको चाहे करें न याद
जीवन भर
जीवन भर उनकी याद में
हम गाए जाएंगे
गाए जाएंगे

Wissenswertes über das Lied Hue Ham Jinke Liye Barbad von Mohammed Rafi

Wer hat das Lied “Hue Ham Jinke Liye Barbad” von Mohammed Rafi komponiert?
Das Lied “Hue Ham Jinke Liye Barbad” von Mohammed Rafi wurde von NAUSHAD, SHAKEEL BADAYUNI, Shakeel Badayuni komponiert.

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