Husn Hai Ya Koi Qayamat Hai
Ravindra Jain
हुस्न है या कोई क़यामत है
ख़्वाब देखा है या हकीकत है
बेबसी है के पा नहीं सकते है हाय
हमसे थोड़ी सी दूर जन्नत है
हमसे थोड़ी सी दूर जन्नत है
आआआ हम्म हम्म हम्म आआआ
ऐसा कोई न था निगाहों में
जैसा देखा है आज राहों में
दिल खींचा जा रहा है पहलु से हाय
अजनबी हमसफ़र की बाहों में
अजनबी हमसफ़र की बाहों में
क्यों न मिलने की कोशिशे कर ले
पूरी तन मन की ख़्वाहिशें कर ले
कोई ताकत न जिन्हें तोड़ सके हाय
आओ हम ऐसी बंदिशे कर ले
आओ हम ऐसी बंदिशे कर ले