Jhuthe Ka Muh Kala

Pandit Indra Chandra

दुनिया वालो के आयेज जो ज़रा
झुका बेमौत मारा
अरे तीर टॉप तलवार मुक़ाबिल हो
तो चलाओ उस्तारह

झूठे का मूह कला
सचे का बोल बाला
झूठे का मूह कला
सचे का बोल बाला
तू ज़िंदगी के साज़ पे क्यू
गाता है बेतला
तू ज़िंदगी के साज़ पे क्यू
गाता है बेतला
हो बेतला है
बेतला अरे बेतला
झूठे का मूह कला
सचे का बोल बाला
तू ज़िंदगी के साज़ पे क्यू
गाता है बेतला
हो बेतला है बेतला अरे बेतला

रहे अंधेरा मस्ज़िद मे तो
महफ़िल समा उजाला
बीवी ओढ़े फटी ओढनी
छाननी जान दोशाला
बीवी ओढ़े फटी ओढनी
छाननी जान दोशाला
छाननी जान दोशाला
छाननी जान दोशाला
छाननी जान दोशाला
पैर आगे आगे देखना होता है क्या
झूठे का मूह कला
सचे का बोल बाला
तू ज़िंदगी के साज़ पे क्यू
गाता है बेतला
झूठे का मूह कला

जाम अंगूरी अमीर पीटा
जाम अंगूरी अमीर पीटा
ग़रीब आँख का पानी
ग़रीब आँख का पानी
खुदा का बंदा गम ख़ाता
खुदा का बंदा गम ख़ाता
शैतान मुर्ग बिरयानी
पर आयेज आयेज
देखना होता है क्या
अरे होता है
झूठे का मूह कला
सचे का बोल बाला
तू ज़िंदगी के साज़ पे क्यू
गाता है बेतला
झूठे का मूह काला

आलिम नही ज़ुबान हिलाते
जालिम छुरी चलते
आशिक फिरते मारे मारे
उल्लू मज़े उड़ते
पर आयेज आयेज
देखता होता है क्या
अरे होता है
झूठे का मूह कला
सचे का बोल बाला
तू ज़िंदगी के साज़ पे क्यू
गाता है बेतला
हो बेतला है
बेतला अरे बेतला
झूठे का मूह कला
सचे का बोल बाला
तू ज़िंदगी के साज़ पे क्यू
गाता है बेतला
हो बेतला है

Wissenswertes über das Lied Jhuthe Ka Muh Kala von Mohammed Rafi

Wer hat das Lied “Jhuthe Ka Muh Kala” von Mohammed Rafi komponiert?
Das Lied “Jhuthe Ka Muh Kala” von Mohammed Rafi wurde von Pandit Indra Chandra komponiert.

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