Khamosh Zindagi Ko Awaz De Rahe Ho

Laxmikant Pyarelal, Shiv Kumar Saroj

खामोश ज़िंदगी को आवाज़ दे रहे हो
खामोश ज़िंदगी को आवाज़ दे रहे हो
टूटे हुए हाथों में क्यूँ साज़ दे रहे हो
खामोश ज़िंदगी को

बेनूर मेरी आँखें और दूर का सफर है
बेनूर मेरी आँखें और दूर का सफर है
उठते हैं पाऊं लेकिन गिर जाने का भी डर है
पर काट के किसी के परवाज़ दे रहे हो
टूटे हुए हाथो में क्यों साज़ दे रहे हो
खामोश ज़िंदगी को

आँखों से बहता दरिया होंठों पे आह लेकर
आँखों से बहता दरिया होंठों पे आह लेकर
साहिल पे हम खड़े हैं साहिल की चाह लेकर
बर्बाद ए मोहब्बत को नए अंदाज़ दे रहे हो
टूटे हुए हाथो में क्यों साज़ दे रहे हो
खामोश ज़िंदगी को

Wissenswertes über das Lied Khamosh Zindagi Ko Awaz De Rahe Ho von Mohammed Rafi

Wer hat das Lied “Khamosh Zindagi Ko Awaz De Rahe Ho” von Mohammed Rafi komponiert?
Das Lied “Khamosh Zindagi Ko Awaz De Rahe Ho” von Mohammed Rafi wurde von Laxmikant Pyarelal, Shiv Kumar Saroj komponiert.

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