Khudaya Khair
फूलो से मुखड़े वाली
निकली है एक मतवाली
गुलशन की करने सैर खुदाया खैर
गुलशन की करने सैर खुदाया खैर
ले थाम ले मेरी बांहे
ऊँची-नीची है राहे
कहीं फिसल न जाए पैर खुदाया खैर
गुलशन की करने सैर खुदाया खैर
क्या हाल नज़ारो का होगा
क्या रंग बहारो का होगा
ये हुस्न अगर मुस्काया तो
ये हुस्न अगर मुस्काया तो
क्या इश्क़ के मारो का होगा
हो हाय हाय
मतवाले नैन है ऐसे
तालाब में यारों जैसे
दो फूल रहे हो तैर खुदाया खैर
गुलशन की करने सैर खुदाया खैर
हर एक अदा मस्तानी है
ये अपने वक़्त की रानी है
जो पहली बार सुनी मैंने
जो पहली बार सुनी मैंने
ये वो रंगीन कहानी है
हो हो हो
मौजो की तरह चलती है
शबनम सी ये जलती है
कलियों से भी है बैर खुदाया खैर
गुलशन की करने सैर खुदाया खैर
फूलो से मुखड़े वाली
निकली है एक मतवाली
गुलशन की करने सैर खुदाया खैर
हो कही फिसल न जाए पैर खुदाया खैर