Log Kahen Mujhe Pagla Kahin Ka

Hasrat Jaipuri, Shankar-Jaikishan

आ हा आशिक़ हूँ इक माहजबीं का
लोग कहे मुझे पगला कहीं का
आशिक़ हूँ इक माहजबीं का
लोग कहे मुझे पगला कहीं का
दिल की तमन्ना पूरी कर दो
साथी बना लो मुझे ज़िन्दगी का
आशिक़ हूँ इक माहजबीं का
लोग कहे मुझे पगला कहीं का

महफ़िल महफ़िल धूम मचाऊं
महफ़िल महफ़िल धूम मचाऊं
पागल बनकर नाच दिखाऊं
पागल बनकर नाच दिखाऊं
जान ए तमन्ना साथ है मेरे
जान ए तमन्ना साथ है मेरे
हाल न पूछो मेरी ख़ुशी का
आशिक़ हूँ इक माहजबीं का
लोग कहे मुझे पगला कहीं का
आशिक़ हूँ इक माहजबीं का
लोग कहे मुझे पगला कहीं का

जाने वो कैसी जान ए जहां है
जाने वो कैसी जान ए जहां है
उसके बिना तो चैन कहाँ है
उसके बिना तो चैन कहाँ है
शाम सबेरा कुछ नहीं देखूं
शाम सबेरा कुछ नहीं देखूं
फेरा मारुं उसकी गली का
आशिक़ हूँ इक माहजबीं का
लोग कहे मुझे पगला कहीं का
आशिक़ हूँ इक माहजबीं का
लोग कहे मुझे पगला कहीं का

एक सनम को अपना किया है
एक सनम को अपना किया है
प्यार का बंधन बाँध लिया है
प्यार का बंधन बाँध लिया है
मुझको तो अपना होश नहीं है
मुझको तो अपना होश नहीं है
मुझपे नशा है आशिकी का
आशिक़ हूँ इक माहजबीं का
लोग कहे मुझे पगला कहीं का
आशिक़ हूँ इक माहजबीं का
लोग कहे मुझे पगला कहीं का
दिल की तमन्ना पूरी कर दो
साथी बना लो मुझे ज़िन्दगी का
आशिक़ हूँ इक माहजबीं का
लोग कहे मुझे पगला कहीं का

Wissenswertes über das Lied Log Kahen Mujhe Pagla Kahin Ka von Mohammed Rafi

Wer hat das Lied “Log Kahen Mujhe Pagla Kahin Ka” von Mohammed Rafi komponiert?
Das Lied “Log Kahen Mujhe Pagla Kahin Ka” von Mohammed Rafi wurde von Hasrat Jaipuri, Shankar-Jaikishan komponiert.

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