Main Idhar Jaoon Ya Udhar Jaoon

Naushad, Shakeel Badayuni

आ आ आ
भरी महफ़िल मे छेड़ा है
किसी ने दिल के तरो को
मुबारक हो ये जश्न बेकरारी बेक़रारों को
हा हज़ारो शम्मे जलकर
दिल को कर देती है दीवाना
हा और उनके बीच मे घिर कर
यही कहता है परवाना
मैं इधर जाऊ या उधर जाऊ

मैं इधर जाऊ या उधर जाऊ

बड़ी मुश्किल मे हू अब किधर जाऊ

बड़ी मुश्किल मे हू अब किधर जाऊ
मैं इधर जाऊ या उधर जाऊ

आज आँखो मे उतर आया है
कोई तसबीर-ए-मुहब्बत बनकर
आज चिलमन से नज़र आया है
एक अफ़साना हक़ीकत बनकर
जिंदगी मिल गयी मुझको लेकिन
आज भी उससे बड़ी दूरी है हो हो

आज भी उससे बड़ी दूरी है

जोश कहता है पकड़ ले दामन
होश कहता है की मजबूरी है

होश कहता है की मजबूरी है

हा उधर है सबर की मंज़िल
इधर बेताब यह दिल है जुनून-ए-शौक मे
ये फ़ैसला करना भी मुश्किल है
मैं इधर जाऊ या उधर जाऊ
खाक बनकर ही क्यू ना बिखर जाऊ

खाक बनकर ही क्यू ना बिखर जाऊ
मैं इधर जाऊ या उधर जाऊ

Wissenswertes über das Lied Main Idhar Jaoon Ya Udhar Jaoon von Mohammed Rafi

Wer hat das Lied “Main Idhar Jaoon Ya Udhar Jaoon” von Mohammed Rafi komponiert?
Das Lied “Main Idhar Jaoon Ya Udhar Jaoon” von Mohammed Rafi wurde von Naushad, Shakeel Badayuni komponiert.

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