Main Yeh Sochkar Uske Dar Se Utha
Azmi Kaifi, Madan Mohan
मैं ये सोच कर उसके दर से
उठा था के वो रोक लेगी मना लेगी मुझको
हवाओं में लहराता आता था दामन
के दामन पकड़कर बिठा लेगी मुझको
क़दम ऐसे अंदाज़ से उठ रहे थे
के आवाज़ देके बुला लेगी मुझको
मगर उसने न रोका न उसने मनाया
न दामन ही पकड़ा न मुझको बिठाया
न आवाज़ ही दी न वापस बुलाया
मई और आहिस्ता आहिस्ता बढ़ता ही आया
यहाँ तक के उस से जुदा हो गया
यहाँ तक के उस से जुदा हो गया
जुदा हो गया मैं जुदा हो गया
जुदा हो गया मैं जुदा हो गया.