Mohabbat Ka Naghma Zuban Par

Ravi, Shakeel Badayuni

मोहब्बत का नग्मा जुबा पर न आता
मोहब्बत का नग्मा जुबा पर न आता
अगर तुम न मिलते अगर तुम न मिलते
मुक़द्दर न जाने कहाँ लेके जाता
मुक़द्दर न जाने कहाँ लेके जाता
अगर तुम न मिलते अगर तुम न मिलते
मोहब्बत का नग्मा जुबा पर न आता

मेरा जज़्बा ए दिल मेरे काम आया
मुझे ये ख़ुशी है तुम्हे मैंने पाया

मेरी जिंदगी थी एक आवारा बादल
जिसे तुमने जाने बहारा बनाया
जिसे तुमने जाने बहारा बनाया

उम्मीदों का गुलशन न यु मुस्कुराता
उम्मीदों का गुलशन न यु मुस्कुराता
अगर तुम न मिलते अगर तुम न मिलते

मुक़द्दर न जाने कहाँ लेके जाता
मुक़द्दर न जाने कहाँ लेके जाता
अगर तुम न मिलते अगर तुम न मिलते

मोहब्बत का नग्मा जुबा पर न आता (मोहब्बत का नग्मा जुबा पर न आता)

तुम्ही से ये दिल की ख़ुशी मैंने पायी
मोहब्बत भी मुझको तुम्ही ने सिखाई

जहां जिंदगी थी मिली मुझको राहें
तुम्हारी तमन्ना वहाँ लेके आयी
तुम्हारी तमन्ना वहाँ लेके आयी

मुझे कौन मंजिल का रस्ता दिखाता
मुझे कौन मंजिल का रस्ता दिखाता
अगर तुम न मिलते अगर तुम न मिलते

मुक़द्दर न जाने कहाँ लेके जाता (मुक़द्दर न जाने कहाँ लेके जाता)
मुक़द्दर न जाने कहाँ लेके जाता (मुक़द्दर न जाने कहाँ लेके जाता)
अगर तुम न मिलते अगर तुम न मिलते (अगर तुम न मिलते अगर तुम न मिलते)
मोहब्बत का नग्मा जुबा पर न आता (मोहब्बत का नग्मा जुबा पर न आता)
अगर तुम न मिलते अगर तुम न मिलते (अगर तुम न मिलते अगर तुम न मिलते)
मोहब्बत का नग्मा जुबा पर न आता (मोहब्बत का नग्मा जुबा पर न आता)

Wissenswertes über das Lied Mohabbat Ka Naghma Zuban Par von Mohammed Rafi

Wer hat das Lied “Mohabbat Ka Naghma Zuban Par” von Mohammed Rafi komponiert?
Das Lied “Mohabbat Ka Naghma Zuban Par” von Mohammed Rafi wurde von Ravi, Shakeel Badayuni komponiert.

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