Nazar Aati Nahin Manzil

Ravindra Jain

नज़र आती नहीं मंज़िल तड़पने से भी क्या हासिल
तक़दीर में ऐ मेरे दिल अंधेरे ही अंधेरे हैं
नज़र आती नहीं मंज़िल

मजबूरी ने जिसको मारा उसका कौन सहारा
मांझी तो मिल जाते हैं पर मिलता नहीं किनारा
तक़दीर में ऐ मेरे दिल अंधेरे ही अंधेरे हैं
नज़र आती नहीं मंज़िल

नैनों से यूँ छिन गई ज्योती सीप से जैसे मोती
एक जान और सौ दुश्मन हैं काश ये जान न होती
तक़दीर में ऐ मेरे दिल अंधेरे ही अंधेरे हैं
नज़र आती नहीं मंज़िल

खलती है ये पास की दूरी
जलती आस अधूरी
किसको कोई दोष लगाए
सबके संग मजबूरी
तक़दीर में ऐ मेरे दिल अंधेरे ही अंधेरे हैं
नज़र आती नहीं मंज़िल तड़पने से भी क्या हासिल
तक़दीर में ऐ मेरे दिल अंधेरे ही अंधेरे हैं
नज़र आती नहीं मंज़िल

Wissenswertes über das Lied Nazar Aati Nahin Manzil von Mohammed Rafi

Wer hat das Lied “Nazar Aati Nahin Manzil” von Mohammed Rafi komponiert?
Das Lied “Nazar Aati Nahin Manzil” von Mohammed Rafi wurde von Ravindra Jain komponiert.

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