O Mere Bulbule Baghdad

Raja Mehdi Ali Khan

ओ मेरी बुलबुले बॅग्डॅड
लेके दिल में तेरी याद
मैं बर्बाद हो गया
मैं बर्बाद हो गया
मैं हू छ्होटी सी एक बुलबुल
मचा दूँगी चमन में घुल
के तू सैयद हो गया
तू सैयद हो गया
मैं बर्बाद हो गया
मैं बर्बाद हो गया

गुर गुर देखता है
मुझको घड़ी घड़ी
मुस्किल आ पड़ी

देख तेरा कैदी
प्यार की ये हथकड़ी
ओ मेरी फुलज़ादी

किसी की ले बहाने से
शर्म के जैलखाने से
क्यू आज़ाद हो गया
क्यू आज़ाद हो गया

मैं बर्बाद हो गया
तू सैयद हो गया

हाथो जाओ तुम तो मेरे
पिच्चे ही पड़ गये
बातो पे अड़ गये
तेरी आरज़ू के झंडे
इस दिल में गढ़ गये
हम तो पीले पड़ड़ गये
पड़ेंगे सर पर जब डंडे
भगॉगे लेकर झंडे
के मैं बर्बाद हो गया
हाए तू सैयद हो गया
के मैं बर्बाद हो गया
मैं बर्बाद हो गया

मेहंदी बन के लग जौंगा
गोरी तेरे पावं में
पायल की छावं में

देखो चली जौंगी मैं
अपने ही गाओं में
खुशियो की चों में

कहा जाओगे ओ मालिक्का
तेरे घर का हर
रास्ता मुझे याद ह्म गया
मुझे याद ह्म गया

मैं हू छ्होटी सी एक बुलबुल
मचा दूँगी चमन में घुल
के तू सैयद हो गया

मैं बर्बाद हो गया
तू सैयद हो गया
मैं बर्बाद हो गया
तू सैयद हो गया
मैं बर्बाद हो गया

Wissenswertes über das Lied O Mere Bulbule Baghdad von Mohammed Rafi

Wer hat das Lied “O Mere Bulbule Baghdad” von Mohammed Rafi komponiert?
Das Lied “O Mere Bulbule Baghdad” von Mohammed Rafi wurde von Raja Mehdi Ali Khan komponiert.

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