Parbat Dera Pyar Bhara
पर्वत डेरा प्यार भरा था
मैने थी एक देखी डोली
गज़रो की माला ओढ़े
खड़ी वाहा थी एक परी सी
हूर खड़ी थी, महकी महकी
उसको मायूस देखा मैने
आँख से आँसू टूट रहे थे
रोने पे मजबूर थी शायद
लगी ठेस, दुखे नैन
हाए मा, हाए मेरी मा
देख के तुझको रोते हुए
रोने लगे है, अरजो समा
दौरे बहरा, रूठ गया है
फुलो मे बुबास कहा
उड़ने लगी है, चाँद की रंगत
छाने लगा, तारो पे धुआ
मैं ज़रा ये सोच रही थी
सब मुझे गम देते क्यू है
गुम सबो के लेकर मैने
दिल के दर को खोल दिया था
असुलो का खुदा है
मोहब्बत का फरिश्ता
उसपे क्यू ना हो कुर्बान
देश है जिसके गुण गाता
उसका नाम है नेहरू
और है वो हमारा नेता
हसने लगी थी, ऐसी लगी वो अर्ज़ पे
गोया चमन झूमे
मुझे तो ये रंगीन समा, इतना पसंद है
के इसी का हो गया, खुद को मैं भूल के
कल्पना मे खो ही गया
कल्पना मे खो ही गया
पर्वत डेरा प्यार भरा था
मैने थी एक देखी डोली
गज़रो की माला ओढ़े
खड़ी वाहा थी एक परी सी