Pasand Aa Gai Hai Ek Kafir Haseena

Laxmikant Pyarelal, ANANDSHI BAKSHI, ANAND BAKSHI, KUDALKAR LAXMIKANT, PYARELAL RAMPRASAD SHARMA

पसंद आ गयी है एक काफिर
हसीना पसंद आ गयी है
पसंद आ गयी है
एक काफ़िर हसीना
उम्र उसकी सोला बरस छे महीना
पसंद आ गयी है
सितमगर ने मुश्किल
किया मेरा जीना उम्र
उसकी सोला बरस छे महीना
पसंद आ गयी है

जन्नत की हूरों से दिलकश जमाल
दरिया की मौजों सी बदमस्त चाल
जन्नत की हूरों से दिलकश जमाल
दरिया की मौजों सी
बदमस्त चाल
शीशे के सागर सा
शीशे के सागर सा
नाजुक बदन
तोह शबनम की कतारों
सा रंगीन पसीना
उम्र उसकी सोला बरस छे महीना
पसंद आ गयी है

कमसिन अभी है वह नादाँ है
उल्फत की बातों से अनजान है
कमसिन अभी है वह नादाँ है
उल्फत की बातों से अनजान है
उस बेख़बर को
उस बेख़बर को नहीं
कुछ खबर
घम इ इश्क़ से फुग
गया मेरा सीना
उम्र उसकी सोला बरस छे महीना
पसंद आ गयी है

कितनी हसीं मेरी महबूब है
जोड़ी हमारी बहुत खूब है
कितनी हसीं मेरी महबूब है
जोड़ी हमारी बहुत खूब है
शायर हूँ मैं तोह
शायर हूँ मैं तोह
वह जान ए ग़ज़ल
अंगूठी है वह
और मैं हूँ नगीना
उम्र उसकी सोला
बरस छै महीना
पसंद आ गयी है
एक काफ़िर हसीना
उम्र उसकी सोलह बरस छै महिना
पसंद आ गयी है

Wissenswertes über das Lied Pasand Aa Gai Hai Ek Kafir Haseena von Mohammed Rafi

Wer hat das Lied “Pasand Aa Gai Hai Ek Kafir Haseena” von Mohammed Rafi komponiert?
Das Lied “Pasand Aa Gai Hai Ek Kafir Haseena” von Mohammed Rafi wurde von Laxmikant Pyarelal, ANANDSHI BAKSHI, ANAND BAKSHI, KUDALKAR LAXMIKANT, PYARELAL RAMPRASAD SHARMA komponiert.

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