Ponchh Kar Ashq Apni Ankhon Se

N Dutta, Sahir Ludhianvi

पोंछ कर अश्क़ अपनी आँखों से

पोंछ कर अश्क़ अपनी आँखों से
मुस्कुराओ तो कोई बात बने
सर झुकाने से कुछ नहीं होगा
सर उठाओ तो कोई बात बने
पोंछ कर अश्क़ अपनी आँखों से
मुस्कुराओ तो कोई बात बने

ज़िंदगी भीख में नहीं मिलती
ज़िंदगी भीख में नहीं मिलती
ज़िंदगी बढ़ के छीनी जाती है
ज़िंदगी बढ़ के छीनी जाती है
अपना हक़ संगदिल ज़माने से
छीन पाओ तो कोई बात बने
सर झुकाने से कुछ नहीं होगा
सर उठाओ तो कोई बात बने

रंग और नस्ल जात और मज़हब
रंग और नस्ल जात और मज़हब
जो भी हो आदमी से कमतर है
जो भी हो आदमी से कमतर है
इस हक़ीक़त को तुम भी मेरी तरह
मान जाओ तो कोई बात बने
सर झुकाने से कुछ नहीं होगा
सर उठाओ तो कोई बात बने

नफ़रतों के जहाँ में हमको
नफ़रतों के जहाँ में हमको
प्यार की बस्तियाँ बसानी है
प्यार की बस्तियाँ बसानी है
दूर रहना कोई कमाल नहीं
पास आओ तो कोई बात बने
पोंछ कर अश्क़ अपनी आँखों से
मुस्कुराओ तो कोई बात बने
सर झुकाने से कुछ नहीं होगा
सर उठाओ तो कोई बात बने

Wissenswertes über das Lied Ponchh Kar Ashq Apni Ankhon Se von Mohammed Rafi

Wer hat das Lied “Ponchh Kar Ashq Apni Ankhon Se” von Mohammed Rafi komponiert?
Das Lied “Ponchh Kar Ashq Apni Ankhon Se” von Mohammed Rafi wurde von N Dutta, Sahir Ludhianvi komponiert.

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