Rajguru Ne Jhansi Chhodi
राजगुरु ने झाँसी छोडी
ले ईश्वर का नाम
जनम भूमि जब संकट मे है
फिर कैसा विश्राम
राजगुरु ने झाँसी छोडी
ले ईश्वर का नाम
पहले मंदिर गया
पहले मंदिर गया नाव पर
फिर पहुचा मझधार
लहरे उधर नदी मे थी
मन मे थे इधर विचार
हाथी पर घुमा लेकिन बेचैन वहा भी मन था
रथ पर भी कुछ दूर चला पर वो ही बावलापन था
उसी लगन मे चला उँट पर
उसी लगन मे चला उँट पर
एक रोज मस्ताना
दुनिया समझी दीवाना ये
देश का था दीवाना
ये देश का था दीवाना
पैदल भी वो चला मगर व्याकुलता हुई ना दूर
झाँसी की तकदीर ले गई
आख़िर उससे भी दूर
आख़िर उससे भी दूर