Sawan Ke Mahine Mein [Part 1]

MADAN MOHAN, RAJINDER KRISHAN

सोचता हूँ की पियूं पियूं ना पियूं
ताक दामन के सियूं सियूं ना सियूं
देख कर जाम कशमकश मे हूँ
क्या करूँ मैं जियुं जियुं हाय! ना जियुं
सावन के महीने मे, एक आग सी सिने मे
लगती है तो पी लेता हू, दो चार घड़ी जी लेता हू
सावन के महीने मे
चाँद की चाल भी है बहकी हुई
रात की आँख भी शराबी है
सारी कुदरत नशे मे है जब यू
अरे मैने पी ली तो क्या खराबी है
सावन के महीने मे
एक आग सी सिने मे
लगती है तो पी लेता हू
दो चार घड़ी जी लेता हू
सावन के महीने मे
एक आग सी सिने मे
लगती है तो पी लेता हू
दो चार घड़ी जी लेता हू
सावन के महीने मे

Wissenswertes über das Lied Sawan Ke Mahine Mein [Part 1] von Mohammed Rafi

Wer hat das Lied “Sawan Ke Mahine Mein [Part 1]” von Mohammed Rafi komponiert?
Das Lied “Sawan Ke Mahine Mein [Part 1]” von Mohammed Rafi wurde von MADAN MOHAN, RAJINDER KRISHAN komponiert.

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