Sheeshe Ka Ho Ya Patthar Ka Dil

Majrooh Sultanpuri, S D Burman

पत्थर का दिल न होता
हाय पत्थर का दिल न होता
ए काश इस बदन में

शीशे का हो के पत्थर का दिल
मोहबत करो धड़कने लगे
शीशे का हो के पत्थर का दिल
मोहबत करो धड़कने लगे
एक दिन जले शामा है ये दिल
जो शोला मिले भड़कने लगे
एक दिन जले शामा है ये दिल
जो शोला मिले भड़कने लगे
शीशे का हो के पत्थर का दिल

ख्वाबों में हम थे खोए हुए
अंगडाई बनके सोये हुए
ख्वाबों में हम थे खोए हुए
अंगडाई बनके सोये हुए
तेरी नज़र तेरे प्यार ने
जो हमको चुआ बहकने लगे
शीशे का हो के पत्थर का दिल
मोहब्बत करो धड़कने लगे
एक दिन जले शामा है ये दिल
जो शोला मिले भड़कने लगे
शीशे का हो के पत्थर का दिल

दिल जो मिला है दिलदार से
धड़कन उठि अज़ाब प्यार से
खुलते लबों पे चालकी हसि
के जुगनू कई चमकने लगे
शीशे का हो के पत्थर का दिल
मोहबत करो धड़कने लगे
एक दिन जले शामा है ये दिल
जो शोला मिले भड़कने लगे
शीशे का हो के पत्थर का दिल

ये चाँद है के तुम हो सजन
है चांदनी के मेरा बदन
ये चाँद है के तुम हो सजन
है चांदनी के मेरा बदन
पहले मिलन की रात है ये
के गुसु मेरे चमकने लगे
शीशे का हो के पत्थर का दिल
मोहबत करो धड़कने लगे
एक दिन जले शामा है ये दिल
जो शोला मिले भड़कने लगे
शीशे का हो के पत्थर का दिल

Wissenswertes über das Lied Sheeshe Ka Ho Ya Patthar Ka Dil von Mohammed Rafi

Wer hat das Lied “Sheeshe Ka Ho Ya Patthar Ka Dil” von Mohammed Rafi komponiert?
Das Lied “Sheeshe Ka Ho Ya Patthar Ka Dil” von Mohammed Rafi wurde von Majrooh Sultanpuri, S D Burman komponiert.

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