Taqdeer Ke Kalam Se

LAXMIKANT PYARELAL, VARMA MALIK

तक़दीर के कलम से
कोई बच न पायेगा
तक़दीर के कलम से
कोई बच न पायेगा
पेशानी पे जो लिखा है
वो पेश आएगा
मलिक ने जो लिख दिया है
वो मिट न पाएगा
पेशानी पे लिखा है
वो पेश आएगा
वो पेश आएगा

चाहने से कभी अर्जु
के फूल न खिले
ख़ुशी के चार दिन भी
ज़िंदगी मैं न मिले

देखि ये प्यार
कितना मजबूर है
मज़िल से पास ाकेभी
मज़िल से दूर है
एक नज़र भर कर पीना
जो देख पाएगा
पेशानी पे जो लिखा है
वो पेश आएगा
वो पेश आएगा

किस्मत बिना कोई
किसी को पा नहीं सके
और प्यार को सीने से
भी लगा नहीं सके

मिलाने से पहले ही यहाँ
दिल टूट जाते है सफर से
पहले हमसफ़र छूट जाते है
तक़दीर तुझपे हँसेगी
तू रो न पायेगा
पेशानी पे जो लिखा है
वो पेश आएगा
तक़दीर के कलम से
कोई बच न पायेगा
पेशानी पे जो लिखा है
वो पेश आएगा
वो पेश आएगा
वो पेश आएगा

Wissenswertes über das Lied Taqdeer Ke Kalam Se von Mohammed Rafi

Wer hat das Lied “Taqdeer Ke Kalam Se” von Mohammed Rafi komponiert?
Das Lied “Taqdeer Ke Kalam Se” von Mohammed Rafi wurde von LAXMIKANT PYARELAL, VARMA MALIK komponiert.

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