Tum Sab Ko Chhod Kar

Hasrat Jaipuri, Shankar-Jaikishan

यहाँ कोई नहीं तेरा मेरे सिवा
कहती है झूमती-गाती हवा
तुम सबको छोड़कर आ जाओ
आ जाओ, आ जाओ
तुम सबको छोड़कर आ जाओ
आ जाओ, आ जाओ

तेरे मन की उलझनें सुलझाना चाहता हूँ
तेरे मन की उलझनें सुलझाना चाहता हूँ
तुम्हें आज से अपनी, मैं बनाना चाहता हूँ
मन के सुनहरे मंदिर में बिठाना चाहता हूँ
यहाँ कोई नहीं तेरा मेरे सिवा
कहती है झूमती-गाती हवा
तुम सबको छोड़कर आ जाओ
आ जाओ, आ जाओ
तुम सबको छोड़कर आ जाओ
आ जाओ, आ जाओ

बादल भी बन के पानी एक दिन तो बरसता है
बादल भी बन के पानी एक दिन तो बरसता है
लोहा भी जल के आग में एक दिन तो पिघलता है
जिस दिल में हो मुहब्बत एक दिन तो तड़पता है
जिस दिल में हो मुहब्बत एक दिन तो तड़पता है
यहाँ कोई नहीं तेरा मेरे सिवा
कहती है झूमती-गाती हवा
तुम सबको छोड़कर आ जाओ
आ जाओ, आ जाओ
तुम सबको छोड़कर आ जाओ
आ जाओ, आ जाओ

Wissenswertes über das Lied Tum Sab Ko Chhod Kar von Mohammed Rafi

Wer hat das Lied “Tum Sab Ko Chhod Kar” von Mohammed Rafi komponiert?
Das Lied “Tum Sab Ko Chhod Kar” von Mohammed Rafi wurde von Hasrat Jaipuri, Shankar-Jaikishan komponiert.

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