Tumse Kahoon Ek [Revial]

MADAN MOHAN, MAJROOH SULTANPURI

तुमसे कहूं इक बात परो सी
हलकी हलकी हम्म हम्म
रात मेरी है छाँव तुम्हारे ही आँचल की हम्म हम्म
तुमसे कहूं इक बात परों सी
हलकी हलकी हलकी हलकी हलकी

सोइ गलियाँ बाँह पसारे आँखें मीचे
सोइ गलियाँ बाँह पसारे आँखें मीचे हम्म हम्म
मैं दुनिया से दूर घनी पलकों के नीचे हम्म हम्म
देखूँ चलते ख्वाब लकीरों पर काजल की
तुमसे कहूं इक बात परों सी
हलकी हलकी हलकी हलकी हलकी

धुँधली धुँधली रैन मिलन का बिस्तर जैसे

धुँधली धुँधली रैन मिलन का बिस्तर जैसे हम्म हम्म
खुलता छुपता चाँद सेज के ऊपर जैसे हम्म हम्म
चलती फिरती खाट हवाओं पर बादल की
तुमसे कहूं इक बात परों सी
हलकी हलकी हलकी हलकी हलकी

है भीगा सा जिस्म तुम्हारा इन हाथों में
है भीगा सा जिस्म तुम्हारा इन हाथों में हम्म हम्म
बाहर नींद भरा पंछी भीगी शाखों में हम्म हम्म
और बरखा की बून्द बदन से ढलकी ढलकी
तुमसे कहूं इक बात परों सी
हलकी हलकी हम्म हम्म
रात मेरी है छाँव तुम्हारे ही आँचल की हम्म हम्म
हलकी हलकी हलकी हलकी हलकी

Wissenswertes über das Lied Tumse Kahoon Ek [Revial] von Mohammed Rafi

Wer hat das Lied “Tumse Kahoon Ek [Revial]” von Mohammed Rafi komponiert?
Das Lied “Tumse Kahoon Ek [Revial]” von Mohammed Rafi wurde von MADAN MOHAN, MAJROOH SULTANPURI komponiert.

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