Zindagi Bhar Nahi Bhoolegi

ROSHAN, SAHIR LUDHIANVI

ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात
एक अंजान हसीना से मुलाकात की रात
ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी

हाय वो रेशमी ज़ुल्फ़ों से बरसता पानी
हाय वो रेशमी ज़ुल्फ़ों से बरसता पानी
फूल से गालों पे रुकने को तरसता पानी
दिल में तूफ़ान उठाते हुए
दिल में तूफ़ान उठाते हुए जज़बात की रात
ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी
डर के बिजली से अचानक वो लिपटना उसका
और फिर शर्म से बलखाके सिमटना उसका
कभी देखी न सुनी ऐसी हो
कभी देखी न सुनी ऐसी तिलिस्मात कि रात
ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी

सुर्ख आंचल को दबाकर जो निचोड़ा उसने
सुर्ख आंचल को दबाकर जो निचोड़ा उसने
दिल पे जलता हुआ एक तीर सा छोड़ा उसने
आग पानी में लगाते हुए
आग पानी में लगाते हुए हालात कि रात
ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी

मेरे नग़्मों में जो बसती है वो तस्वीर थी वो
नौजवानी के हसीं ख़्वाब की ताबीर थी वो
आसमानों से उतर आई हो ओ
आसमानों से उतर आई थी जो रात की रात
ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात
ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी

Wissenswertes über das Lied Zindagi Bhar Nahi Bhoolegi von Mohammed Rafi

Wer hat das Lied “Zindagi Bhar Nahi Bhoolegi” von Mohammed Rafi komponiert?
Das Lied “Zindagi Bhar Nahi Bhoolegi” von Mohammed Rafi wurde von ROSHAN, SAHIR LUDHIANVI komponiert.

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