Fiza Ye Khiza

SAGAR SARKAR, RAVI BABU

फ़िज़ा ये खिज़ा बदल जाएगी
यह मौज इ फ़ना बिखर जायेगी

फ़िज़ा ये खिज़ा बदल जाएगी
यह मौज इ फ़ना बिखर जायेगी
कशिशें मगर ये दिल से कभी
चाहे भी तो ना निकल पायेगी
ऐ ख़ातिर तेरे निछावर मेरे
ये दोनों जहां है यार मेरे
तू आ साथ बाँट ले हर गम हर ख़ुशी
ये ऐसी है मेरी दोस्ती
है गर्दिश भी जिसमें हसीं
इस फर्श से उस वर्ष तक
है बस तेरा मेरा ज़िक्र ही
ये ऐसी है मेरी दोस्ती(ये ऐसी है मेरी दोस्ती)
है गर्दिश भी जिसमें हसीं(है गर्दिश भी जिसमें हसीं)
इस फर्श से उस वर्ष तक(इस फर्श से उस वर्ष तक)
है बस तेरा मेरा ज़िक्र ही(है बस तेरा मेरा ज़िक्र ही)

साथ मेरे तू जब भी चला
होता गया कम हर फ़ासला

साथ मेरे तू जब भी चला
होता गया कम हर फ़ासला
सोचु कभी गर तू न होता
ऐ यार मेरे मेरा क्या होता
साथ थे हम रहे साथ ही
है फ़रियाद जज़्बात की
ये ऐसी है मेरी दोस्ती
न जिसमेँ है रंजीश कोई
जब यारों का हो कारवाँ
मंज़िल की तब फिकर ही नहीं
ये ऐसी है मेरी दोस्ती(आ आ आ आ)
न जिसमेँ है रंजीश कोई(आ आ आ आ)
जब यारों का हो कारवाँ(आ आ आ आ)
मंज़िल की तब फिकर ही नहीं(आ आ आ आ)

Wissenswertes über das Lied Fiza Ye Khiza von Mohit Chauhan

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Das Lied “Fiza Ye Khiza” von Mohit Chauhan wurde von SAGAR SARKAR, RAVI BABU komponiert.

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