Aasamaan Pe Hai Kudaa Aur Zamin Pe Ham

Sahir Ludhianvi

आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम
आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम
आजकल वो इस तरफ़ देखता है कम
आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम

आजकल किसी को वो टोकता नहीं
चाहे कुछ भी किजीये रोकता नहीं
आजकल किसी को वो टोकता नहीं
चाहे कुछ भी किजीये रोकता नहीं
हो रही है लुट मार फट रहे हैं बम
आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम
आजकल वो इस तरफ़ देखता है कम
आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम

किसको भेजे वो यहाँ हाथ थामने
इस तमाम भीड़ का हाल जानने
किसको भेजे वो यहाँ हाथ थामने
इस तमाम भीड़ का हाल जानने
आदमी हैं अनगीनत देवता हैं कम
आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम
आजकल वो इस तरफ़ देखता है कम
आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम

जो भी है वो ठीक है ज़िक्र क्यों करें
हम ही सब जहाँ की फ़िक्र क्यों करें
जो भी है वो ठीक है ज़िक्र क्यों करें
हम ही सब जहाँ की फ़िक्र क्यों करें
जब उसे ही ग़म नहीं तो क्यों हमें हो ग़म

Wissenswertes über das Lied Aasamaan Pe Hai Kudaa Aur Zamin Pe Ham von Mukesh

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Das Lied “Aasamaan Pe Hai Kudaa Aur Zamin Pe Ham” von Mukesh wurde von Sahir Ludhianvi komponiert.

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