Dar Bhi Tha Thi Deeware Bhi

Sudhir Phadke, Narendra Sharma

घर भी था थी दीवारे भी
तुम से ही घर घर कहलाया
तुम से ही घर घर कहलाया
तुम से ही घर घर कहलाया

सुना मंदिर था मन मेरा
बुझा दीप था जीवन मेरा
सुना मंदिर था मन मेरा
बुझा दीप था जीवन मेरा
प्रतिमा के पावन चर्नो मे
मैं दीपक बनकर मुस्काया
तुम से ही घर घर कहलाया
तुम से ही घर घर कहलाया

देवालय बन गया सुहावन
माँ तुमसे मेरा घर आँगन
देवालय बन गया सुहावन
माँ तुमसे मेरा घर आँगन
आँचल की ममता माया मे
पाई सुख की शीतल छाया
तुम से ही घर घर कहलाया
तुम से ही घर घर कहलाया

कैसे हो गुणगान तुम्हारा
जो कुछ है वरदान तुम्हारा
कैसे हो गुणगान तुम्हारा
जो कुछ है वरदान तुम्हारा
तुमने ही मेरे जीवन के
सपनो को सच कर दिखलाया
तुम से ही घर घर कहलाया
तुम से ही घर घर कहलाया

आँखे मेरी ज्योति तुम्हारी
रह ना गयी राहे अंधियारी
आँखे मेरी ज्योति तुम्हारी
रह ना गयी राहे अंधियारी
रहने दो मेरे माथे पेर मा
माँ तुमने जो हाथ बढ़ाया
तुम से ही घर घर कहलाया

Wissenswertes über das Lied Dar Bhi Tha Thi Deeware Bhi von Mukesh

Wer hat das Lied “Dar Bhi Tha Thi Deeware Bhi” von Mukesh komponiert?
Das Lied “Dar Bhi Tha Thi Deeware Bhi” von Mukesh wurde von Sudhir Phadke, Narendra Sharma komponiert.

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