Ek Ek Ginwata Hoon

JAIKSHAN SHANKAR, VARMA MALIK

कितने किस्म की बेईमानी
कितने किस्म के बेईमान
एक एक गिनवाता हू
ज़रा सुनना देकर ध्यान
ना इज़्ज़त की चिंता
ना फिकर कोई अपमान की
जय बोलो बेईमान की जय बोलो
जय बोलो बेईमान की जय बोलो
ना इज़्ज़त की चिंता
ना फिकर कोई अपमान की
जय बोलो बेईमान की जय बोलो
जय बोलो बेईमान की जय बोलो

बात के झूठे नज़र के खोटे दिल के बड़े कठोर
बड़ा हैरान हुआ जब देखा बैठे चारो ओर
मुझे देख इस महफ़िल मे इसलिए मचाए शोर
के बड़े बड़े चोरो मे आ गया कहा से छोटा चोर
जो कहना हैं वो कह दू
परवाह नही इस अपमान की
जय बोलो बेईमान की जय बोलो
जय बोलो बेईमान की जय बोलो

इस दुनिया मे देखे हैं कुछ ऐसे भी इंसान
खुद को देवता समझे और दूजे को बेईमान
आज फोड़ दू सबके भांडे टूट जाए अभिमान
अपने अपने दिल से पूछो कौन हैं बेईमान
सूरज सी दिशा दी हैं
पर सीरत हैं शैतान की
जय बोलो बेईमान की जय बोलो
जय बोलो बेईमान की जय बोलो

बड़ी बेईमानी करते कुछ बड़े घरो के जाए
बड़े नाम की चादर से चेहरे को रहे छुपाये
औरो पे वो दोष लगाकर अपने पाप छुपाये
उसको मान मिले जग मे जो बेईमान बन जाए
माँ बाप को खबर नही हैं
अरे ऐसी नेक संतान की
जय बोलो बेईमान की जय बोलो
जय बोलो बेईमान की जय बोलो
अरे ना इज़्ज़त की चिंता
ना फिकर कोई अपमान की
जय बोलो बेईमान की जय बोलो
जय बोलो बेईमान की जय बोलो

Wissenswertes über das Lied Ek Ek Ginwata Hoon von Mukesh

Wer hat das Lied “Ek Ek Ginwata Hoon” von Mukesh komponiert?
Das Lied “Ek Ek Ginwata Hoon” von Mukesh wurde von JAIKSHAN SHANKAR, VARMA MALIK komponiert.

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