Ek Woh Bhi Diwali Thi

RAJINDER KRISHAN, RAVI SHANKAR

एक वो भी दीवाली थी,
एक ये भी दीवाली है
उजड़ा हुआ गुलशन है,
रोता हुआ माली है
एक वो भी दीवाली थी,
एक ये भी दीवाली है
उजड़ा हुआ गुलशन है,
रोता हुआ माली है

बाहर तो उजाला है,
मगर दिल में अँधेरा
समझो ना इसे रात,
ये है ग़म का सवेरा
बाहर तो उजाला है,
मगर दिल में अँधेरा
समझो ना इसे रात,
ये है ग़म का सवेरा
क्या दीप जलाएँ हम,
तक़दीर ही काली है
उजड़ा हुआ गुलशन है,
रोता हुआ माली है

ऐसे ना कभी दीप किसी दिल का बुझा हो
मैं तो वो मुसाफ़िर हूँ जो रस्ते में लुटा हो
ऐसे ना कभी दीप किसी दिल का बुझा हो
मैं तो वो मुसाफ़िर हूँ जो रस्ते में लुटा हो
ऐ मौत, तू ही आजा,
दिल तेरा सवाली है
उजड़ा हुआ गुलशन है,
रोता हुआ माली है

Wissenswertes über das Lied Ek Woh Bhi Diwali Thi von Mukesh

Wer hat das Lied “Ek Woh Bhi Diwali Thi” von Mukesh komponiert?
Das Lied “Ek Woh Bhi Diwali Thi” von Mukesh wurde von RAJINDER KRISHAN, RAVI SHANKAR komponiert.

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