Kahin Door Jab Din [Analogue Mix]

P D SHARMA, SHARMA VIVEK VERN

कहीं दूर जब दिन ढल जाये
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आये
मेरे ख्यालों के आँगन में
कोई सपनों के दीप जलाए
दीप जलाए
कहीं दूर जब दिन ढल जाये
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आये

कभी यूँ ही जब हुई बोझल साँसें
भर आईं बैठे-बैठे जब यूँ ही आँखें
तभी मचल के प्यार से चल के
छुए कोई मुझे पर नज़र न आये
नज़र न आये
कहीं दूर जब दिन ढल जाये
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आये
कहीं दूर जब दिन ढल जाये
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आये

Wissenswertes über das Lied Kahin Door Jab Din [Analogue Mix] von Mukesh

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Das Lied “Kahin Door Jab Din [Analogue Mix]” von Mukesh wurde von P D SHARMA, SHARMA VIVEK VERN komponiert.

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