Tum Aaj Mere Sang Hans Lo

Hasrat Jaipuri, Shankar-Jaikishan

तुम आज मेरे संग हँस लो
तुम आज मेरे संग गा लो
तुम आज मेरे संग हँस लो
तुम आज मेरे संग गा लो
और हँसते गाते इस जीवन
की उलझी राह संवारो
तुम आज मेरे संग हँस लो
तुम आज मेरे संग गा लो
और हँसते गाते इस जीवन
की उलझी राह संवारो
तुम आज मेरे संग हँस लो
तुम आज मेरे संग गा लो

तू तू तू मूह मूह मूह मूह
शाम का सूरज बिंदिया
बन कर सागर में खो जाए
शाम का सूरज बिंदिया
बन कर सागर में खो जाए
सुबह सवेरे वो ही
सूरज आशा लेकर आये
सुबह सवेरे वो ही
सूरज आशा लेकर आये
नयी उमंगे नयी तरंगें
आस की ज्योत जलाये रे
आस की ज्योत जलाये
तुम आज मेरे संग हंस लो
तुम आज मेरे संग गा लो
तुम आज मेरे संग हँस लो
तुम आज मेरे संग गा लो
और हँसते गाते इस जीवन
की उलझी राह संवारो
तुम आज मेरे संग हँस लो
तुम आज मेरे संग गा लो

दुःख में जो गाये मल्हारें
वो इंसान कहलाये
दुःख में जो गाये मल्हारें
वो इंसान कहलाये
जैसे बंसी के सीने में
छेद है फिर भी गाये
जैसे बंसी के सीने में
छेद है फिर भी गाये
गाते गाते रोये मयूरा
फिर भी नाच दिखाए रे
फिर भी नाच दिखाए
तुम आज मेरे संग हंस लो
तुम आज मेरे संग गा लो
और हँसते गाते इस जीवन
की उलझी राह संवारो
तुम आज मेरे संग हँस लो
तुम आज मेरे संग गा लो

Wissenswertes über das Lied Tum Aaj Mere Sang Hans Lo von Mukesh

Wer hat das Lied “Tum Aaj Mere Sang Hans Lo” von Mukesh komponiert?
Das Lied “Tum Aaj Mere Sang Hans Lo” von Mukesh wurde von Hasrat Jaipuri, Shankar-Jaikishan komponiert.

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