Yeh Dilnashin Nazare
ये दिलनशी नज़ारे करते है क्या इशारे
ये कौन परबतो से च्छूप कर मुझे पुकारे
ये दिलनशी नज़ारे करते है क्या इशारे
ये कौन परबतो से च्छूप कर मुझे पुकारे
बन-बन मे गूँजती है किसकी हसी सदाए
दिल की जवा उमंगे रह-रह के चौक जाए
बन-बन मे गूँजती है किसकी हसी सदाए
दिल की जवा उमंगे रह-रह के चौक जाए
चुपके से यार बैठे कोई मेरे सहारे
ये कौन परबतो से च्छूप कर मुझे पुकारे
फुलो की औट ले कर ये कौन मुस्कुराए
पल-पल गुजर रहे है किसके बदन के साए
फुलो की औट ले कर ये कौन मुस्कुराए
पल-पल गुजर रहे है किसके बदन के साए
पैरो के कुछ निशान है सच मच नदी किनारे
ये कौन परबतो से च्छूप कर मुझे पुकारे
सब कुछ लगे बसाना सब कुछ लगे कहानी
चेहरे से उसके छूकर हर सुबह हो सुहानी
उसकी हसी चुराए रातो के चाँद तारे
ये कौन परबतो से च्छूप कर मुझे पुकारे
ये दिलनशी नज़ारे करते है क्या इशारा
ये कौन परबतो से च्छूप कर मुझे पुकारे