Meray Saathiya

Mustafa Zahid

फिरता रहा मैं, चलता रहा मैं कहाँ
अंधेरो में भी तो ढूँढे थे तेरे निशान
ये मेरा दिल तो ढूँढे है तुझको यहाँ
सोया रहा मैं, खोया रहा मैं कहाँ
हा कहाँ
मैं कैसे कहूँगा, मैं जीता रहूँगा
ये कैसी है मेरी सज़ा
ये तो वो सज़ा है, जिसमे तू बसा है
इसमे भी तो है फिर मज़ा
हू ऊओ ऊओ हू ऊओ ऊओ तेरे बिन जिया
हू ऊओ ऊओ हू ऊओ ऊओ मेरे साथिया

टूटे ख्वाबो में जो, देखा था मैने वो रास्ता
ढूँढा जब भी उससे, मिला ना मुझे वो खो गया
मैं कैसे कहूँगा, मैं जीता रहूँगा
ये कैसी है मेरी सज़ा
ये तो वो सज़ा है, जिसमे तू बसा है
इसमे भी तो है फिर मज़ा
हू ऊओ ऊओ हू ऊओ ऊओ तेरे बिन जिया
हू ऊओ ऊओ हू ऊओ ऊओ मेरे साथिया

हू ऊओ ऊओ हू ऊओ ऊओ तेरे बिन जिया
हू ऊओ ऊओ हू ऊओ ऊओ मेरे साथिया
हू ऊओ ऊओ हू ऊओ ऊओ तेरे बिन जिया
हू ऊओ ऊओ हू ऊओ ऊओ मेरे साथिया

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