Sanjheya

Siddhant Kaushal

कल तक थी बेज़ुबानी
बाते जो भी तुझे थी बतानी
दिल में ना अब छुपानी
हो चाहे जैसी नयी या पुरानी
फिर मैं शुरू से करती शुरू
बातो की टे को होल से आ खोलू

कहे कहे तू सुहाए
नूर गिराए दिल खींचा चला जाए
तेरे आगे मुस्काये सर भी झुकाए
फिर भी प्रीत ना भाए

ओ सांझेया ओ सांझेया ओ सांझेया
ओ सांझेया

दिल के दरीचे अँखियो को नीचे
बंद पड़े थे तू खोल दे
अब जो ये सिचे मन के बगीचे
कैसे किया रे तू बोल दे
थोड़ी धानी ये जानी मानी
तेरे होने की चूहन है रे

दिल मे ही है बसाने
तस्वीरे लम्हो की ये आसमानी
तुझ संग ही है बितानी
ये बाकी सारी मेरी ज़िंदगानी
अब शुक्रिया अदा करना है
ये वक़्त का जो अपना हुआ है

काहे काहे तू सुहाए
नूर गिराए दिल खींचा चला जाए
तेरे आगे मुस्काये सर भी झुकाए
फिर भी प्रीत ना भाए

ओ सांझेया ओ सांझेया ओ सांझेया ओ सांझेया

Wissenswertes über das Lied Sanjheya von Nikhita Gandhi

Wer hat das Lied “Sanjheya” von Nikhita Gandhi komponiert?
Das Lied “Sanjheya” von Nikhita Gandhi wurde von Siddhant Kaushal komponiert.

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