Haqeeqat Ka Agar Afsana

Nusrat Fateh Ali Khan

हकीकत का अगर अफसाना बन जाए तो क्या कीजे
हकीकत का अगर अफसाना बन जाए तो क्या कीजे
हकीकत का अगर अफसाना बन जाए तो क्या कीजे
हकीकत का अगर अफसाना बन जाए तो क्या कीजे
हकीकत का अगर अफसाना बन जाए तो क्या कीजे
हकीकत का अगर अफसाना बन जाए तो क्या कीजे
गले मिलकर भी वो बेगाना
गले मिलकर भी वो बेगाना बन जाये तो क्या कीजे
हमें सौ बार तर्क-ए-मयकशी मंजूर है लेकिन
हमें सौ बार तर्क-ए-मयकशी मंजूर है लेकिन

आ आ आ

हमें सौ बार तर्क-ए-मयकशी मंजूर है लेकिन
नज़र उसकी अगर मयखाना
नज़र उसकी अगर मयखाना बन जाए तो क्या कीजे
नज़र उसकी अगर मयखाना बन जाए तो क्या कीजे
नज़र उसकी अगर मयखाना बन जाए तो क्या कीजे
नज़र उसकी अगर मयखाना बन जाए तो क्या कीजे
नज़र आता है सजदे में जो अक्सर शैख़ साहिब को
वो जलवा जलवा-ए-जानाना
वो जलवा जलवा-ए-जानाना बन जाए तो क्या कीजे
वो जलवा जलवा-ए-जानाना बन जाए तो क्या कीजे

आ आ आ आ

वो जलवा जलवा-ए-जानाना बन जाए तो क्या कीजे
वो जलवा जलवा-ए-जानाना बन जाए तो क्या कीजे
वो जलवा जलवा-ए-जानाना बन जाए तो क्या कीजे
वो जलवा जलवा-ए-जानाना बन जाए तो क्या कीजे

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