Sooraj Hi Chhaon Banke
Riya Mukherjee
सूरज ही छाँव बनके
आया है आज तनके
उसका साया ढाल बनके
साथ ना छोड़े
ऐसी ताक़त जिसके आगे
मौत दम तोड़े
हर इक लम्हा हिफाजत
ज़मीन से है फलक तक
उसकी आँखें बाज़ जैसे
हर तरफ देखी
है अकेला फौज जैसा
वार ना चुके
झंझा जंगल में
कसौटा दंगल में
एक तूफान एक गर्जन
मिले तो धरा हिले
एक ज्वाला एक आंधी
फैले तो जले फाटक किले
दोस्त ऐसा जिंदगी में
हर किसीको मिले
जैसे सांस तन को मिले
वो रसूल जैसे
कभी रण तुमुल जैसे
एक धार और एक ख़ंजर
घात ऐसी करे
एक बरबर एक तत्पर
भय भी दहशत से डरे
दोस्त ऐसा जिंदगी में
हर किसीको मिले
जैसे सांस तन को मिले
सूरज ही छाँव बनके
आया है आज तनके
उसका साया ढाल बनके
साथ ना छोड़े
ऐसी ताक़त जिसके आगे
मौत दम तोड़े