Har Koi Hai Yahan Bas Nithur Niyat Ke Haathon Ka Khilona [Part 2]

Sujatha

गृह मे वन मे जानकी संग देखे जीवन के वीविध रंग
जो वैदेही मोर भरोसे ताकि रक्षा भाई ना मोसे
हर पल सोचे हृदय वीयोगी जाने वो किस हाल मे होगी
केवल वन वन ही भटकाया कोई सुख ना उसे दे पाया
नही पाने के दुख से अधिक है,नही पाने के दुख से अधिक है
दुस्सह पाकर खोना हर कोई है यहा बस नीठुर नियती के हाथो का खिलौना
कोई न जाने जीवन के किस मोड़ पे कब क्या होना आ आ
हर कोई है यहा बस नीठुर नियती के हाथो का खिलौना
कोई न जाने जीवन के किस मोड़ पे कब क्या होना आ आ
हर कोई है यहा बस नीठुर नियती के हाथो का खिलौना
कोई क्या जाने जीवन के किस मोड़ पे कब क्या होना आ आ
हर कोई है यहा बस नीठुर नियती के हाथो का खिलौना

Wissenswertes über das Lied Har Koi Hai Yahan Bas Nithur Niyat Ke Haathon Ka Khilona [Part 2] von Ravindra Jain

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Das Lied “Har Koi Hai Yahan Bas Nithur Niyat Ke Haathon Ka Khilona [Part 2]” von Ravindra Jain wurde von Sujatha komponiert.

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