Re Manwa Prem Jagat Ka Saar [Krishna Bhajan Vol. 7]
K. S. Chithra, Unni Menon
रे मनवा
प्रेम जगत का सार
रे मनवा प्रेम जगत का सार
प्रेम डगर पर चलते चलते
भक्ति की पावन नदिया आये
भक्ति की नदिया बहते-बहते
प्रेम के सागर में खो जाये
औ भक्ति के दोनो ओर प्रेम है
औ भक्ति के दोनो ओर प्रेम है
भक्त खड़े मझधार
रे मनवा
प्रेम जगत का सार
रे मनवा प्रेम जगत का सार