Tere Har Kadam Par

LAXMIKANT PYARELAL, RAJENDAR KRISHAN

तेरे हर कदम पे
गुल्दिस्ता झुक गये
तेरे हर कदम पे
गुल्दिस्ता झुक गये
ये है दिलो के रिश्ते
इंसान क्या फ्रीशते
मुझसे ये कह गये
सर की बात क्या हैं
आस्ता झुक गयी
सर की बात क्या हैं
आस्ता झुक गयी
सर की बात क्या हैं
आस्ता झुक गयी
तेरे हर कदम पे
गुल्दिस्ता झुक गये

तेरी आँख के इसरे
तेरे हुसान के सहारे
मेरी ज़िंदगी जवान हैं
मेरी ज़िंदगी जवान हैं
ये लचक तेरी कमर की
ये अदा तेरी नज़र की
किसी और में कहा हैं
किसी और में कहा हैं
देखा जिधर भी तुम्हे
करवा रुक गये
देखा जिधर भी तुम्हे
करवा रुक गये
तेरे हर कदम पे
गुल्दिस्ता झुक गये

ये मोहनी सी सूरत
है सादगी की मूरत
जो सोचो तो गजब है
ये यूही रुत जाना
ये यू ही मुस्कुराना
ये खेल भी अजब हैं
ये खेल भी अजब हैं
अबी दूर का सफ़र हैं
हम कहा रुक गये
अबी दूर का सफ़र हैं
हम कहा रुक गये
तेरे हर कदम पे
गुल्दिस्ता झुक गये

ये नयी नयी जवानी
कोई अनसुनी कहानी
मेरे दिल से कह रही हैं
मेरे दिल से कह रही हैं
ओ मूज़े लग रहा है ऐसे
तेरी चल है या जैसे
कोई नाव बह रही हैं
कोई नाव बह रही हैं
ये रवानी देखने को
दो जहा रुक गये
ये रवानी देखने को
दो जहा रुक गये
ये हैं दिलो के रिश्ते
इंसान क्या फ्रीशते
मुझसे ये कह गये
सर की बात क्या है
आस्ता झुक गयी
सर की बात क्या हैं
आस्ता झुक गयी
तेरे हर कदम पे
गुल्दिस्ता झुक गये

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