Phir Sadkon Pe [Studio]
SURAJ JAGAN
फिर सड़को पे बैठा है
गीले कदमो से लिपटा है
नही गुजरा है, आधा दिन
पंछी लौटे, शामे गिन
सागर कहता है
सूखे दिन चाहता है
आँखो का ये है मेला
बहते आँसू, गम झेला
बातो मे यू अकेला
आगे चलने की बेला
फिर सड़को पे बैठा है
गीले कदमो से लिपटा है
नही गुजरा है, आधा दिन
पंछी लौटे, शामे गिन
सागर कहता है
सूखे दिन चाहता है
सागर कहता है
सूखे दिन चाहता है
हू हू हू हू हू हू हू हू हू हू हू