Raat Gaye

ZOE VICCAJI, SABIR ZAFAR

रात गये ऐसे में
जाने क्यूँ हूँ जागती
कौन हूँ में
कौन हूँ कहाँ क्या मेरी
कैसे कहों में जो
दिखती हूँ वेसी नही
कौन हूँ में
कौन हूँ कहाँ क्या मेरी
पापा रा पारा पा
हू ऊ हूऊओ
मिलना जुलना सारे रिषती नाट्य
पानी है यह ज़िंदगी
खियालों रॅंगून
सपनो से भी आगी
मुझ को जाना होगा
जो भी सोची वेसा होता नही
सुबा ने देखा अब तक जो नही
देख पौन गी में अभी
जीवन में मैं ने जाना जो नही
जान जौन गी में कभी
पापा रा पारा पा
हू ऊ हूऊओ
रात गये ऐसे में
जाने क्यूँ हूँ जागती
कौन हूँ में
कौन हूँ कहाँ क्या मेरी

सुबा ने देखा
अब तक जो नही
देख पौन गी में अभी
जीवन में मैं
ने जाना जो नही
जान जौन गी में कभी
पापा रा पारा पा
हू ऊ हूऊओ
रात गये ऐसे में
जाने क्यूँ हूँ जागती
कौन हूँ में
कौन हों कहाँ क्या मेरी

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