Dekh Kar Dilkashi Zamane Ki

Ustad Ghulam Ali

देखकर दिलकशी जमाने की
देखकर दिलकशी जमाने की
आरजू है फरेब खाने की
देखकर दिलकशी जमाने की

आई घमे ज़िंदगी ना हो नाराज़
आई घमे ज़िंदगी ना हो नाराज़
मुझको आदत है मुस्कुराने की
मुझको आदत है मुस्कुराने की
देखकर दिलकशी जमाने की

जुलमटो से ना दर के रास्ते में
जुलमटो से ना दर के रास्ते में
रोशनी है शराबखने की
रोशनी है शराबखने की
देखकर दिलकशी जमाने की

आस तेरे केसुओ को प्यार करू
आस तेरे केसुओ को प्यार करू
रात है मशाले जलाने की
रात है मशाले जलाने की
देखकर दिलकशी जमाने की
आरजू है फरेब खाने की
देखकर दिलकशी जमाने की

Wissenswertes über das Lied Dekh Kar Dilkashi Zamane Ki von Ghulam Ali

Wer hat das Lied “Dekh Kar Dilkashi Zamane Ki” von Ghulam Ali komponiert?
Das Lied “Dekh Kar Dilkashi Zamane Ki” von Ghulam Ali wurde von Ustad Ghulam Ali komponiert.

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