Ek Lamhe

Ahmed Anees

एक लम्हे की बस ख़ता है कोई
एक लम्हे की बस ख़ाता है कोई
अब ना मंज़िल ना रास्ता है कोई
एक लम्हे की बस ख़ता है कोई

कैसे ढूंढू कहा से लाऊ उसे
कैसे ढूंढू कहा से लाऊ उसे
कैसे ढूंढू कहा से लाऊ उसे
पास आकर बिछड़ गया है कोई
एक लम्हे की बस ख़ता है कोई

साँस लेना ही ज़िंदगी तो नही
साँस लेना ही ज़िंदगी तो नही
साँस लेना ही ज़िंदगी तो नही
रोज़ मर मर के जी रहा है कोई
एक लम्हे की बस ख़ता है कोई

मैं तेरे पास आ तो जाऊ मगर
मैं तेरे पास आ तो जाऊ मगर
मैं तेरे पास आ तो जाऊ मगर
मुझको रो रो के रोकता है कोई
एक लम्हे की बस ख़ता है कोई

मुझको इस रात की सहर तो मिले
मुझको इस रात की सहर तो मिले
मुझको इस रात की सहर तो मिले
मैं भी समझू मेरा खुदा है कोई
एक लम्हे की बस ख़ता है कोई
अब ना मंज़िल ना रास्ता है कोई
एक लम्हे की बस ख़ता है कोई

Wissenswertes über das Lied Ek Lamhe von Ghulam Ali

Wer hat das Lied “Ek Lamhe” von Ghulam Ali komponiert?
Das Lied “Ek Lamhe” von Ghulam Ali wurde von Ahmed Anees komponiert.

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