Mujhse Kafir Ko Tere Ishq Ne

AHMED NADEEM QASMI, GHULAM ALI

मुझसे काफ़िर को तेरे इश्क़
मैं यूँ शरमाया
मुझसे काफ़िर को तेरे इश्क़
मैं यूँ शरमाया
दिल तुझे देख के धड़ाका
तो खुदा याद आया
मुझसे काफ़िर को तेरे इश्क़
मैं यूँ शरमाया

चरागर आज सितारो की
कसम खा के बता
चरागर आज सितारो की
कसम खा के बता
चरागर आज सितारो की
कसम खा के बता
किसने इंसान को तबसुम
के लिए तरसाया
मुझसे काफ़िर को तेरे इश्क़
मैं यूँ शरमाया

नज़र करता रहा मैं
फूल से जज़्बात उसे
नज़र करता रहा मैं
फूल से जज़्बात उसे
नज़र करता रहा मैं
फूल से ज़ज्बात उसे
जिसने पत्थर के
खिलौनो से मुझे बहलाया
मुझसे काफ़िर को तेरे
इश्क़ मैं यूँ शरमाया

उसके अंदर कोई फ़नकार
च्छूपा बैठा हैं
उसके अंदर कोई फ़नकार
च्छूपा बैठा हैं
उसके अंदर कोई फ़नकार
च्छूपा बैठा हैं
जानते बुझते जिस
शाकस ने धोखा खाया
मुझसे काफ़िर को तेरे
इश्क़ मैं यूँ शरमाया
मुझसे काफ़िर को तेरे
इश्क़ मैं यूँ शरमाया
दिल तुझे देख के धड़ाका
तो खुदा याद आया
मुझसे काफ़िर को तेरे
इश्क़ मैं यूँ शरमाया

Wissenswertes über das Lied Mujhse Kafir Ko Tere Ishq Ne von Ghulam Ali

Wer hat das Lied “Mujhse Kafir Ko Tere Ishq Ne” von Ghulam Ali komponiert?
Das Lied “Mujhse Kafir Ko Tere Ishq Ne” von Ghulam Ali wurde von AHMED NADEEM QASMI, GHULAM ALI komponiert.

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