Ret Par Likh Ke Mera Naam

GHULAM ALI, MOHSIN NAQVI, RAFIQUE HUSSAIN

रेत पर लिख के मेरा नाम मिटाया ना करो ओ ओ
रेत पर लिख के मेरा नाम मिटाया ना करो ओ ओ
आँख सच बोलती हैं प्यार छुपाया ना करो ओ ओ
रेत पर लिख के मेरा नाम मिटाया ना करो ओ ओ ओ

लोग हर बात का अफ़साना बना लेते हैं
लोग हर बात का अफ़साना बना लेते हैं
सबको हालात की रुहदाद सुनाया ना करो ओ ओ
रेत पर लिख के मेरा नाम मिटाया न करो ओ ओ

ये जरूरी नहीं हर शख्स मसीहा ही हो ओ ओ
ये जरूरी नहीं हर शख्स मसीहा ही हो ओ ओ
प्यार के जख्म अमानत हैं दिखाया ना करो ओ ओ
रेत पर लिख के मेरा नाम मिटाया ना करो ओ ओ ओ

लोग हर बात का अफ़साना बना लेते हैं
लोग हर बात का अफ़साना बना लेते हैं
सबको हालात की रुहदाद सुनाया न करो ओ ओ
रेत पर लिख के मेरा नाम मिटाया न करो ओ ओ ओ

शहर-ए-एहसास में पथराव बहुत हैं मोहसिन
शहर-ए-एहसास में पथराव बहुत हैं मोहसिन
दिल को शीशे के झरोखों में सजाया न करो ओ ओ
रेत पर लिख के मेरा नाम मिटाया न करो ओ ओ
आँखे सच बोलती हैं प्यार छुपाया न करो ओ ओ ओ

Wissenswertes über das Lied Ret Par Likh Ke Mera Naam von Ghulam Ali

Wer hat das Lied “Ret Par Likh Ke Mera Naam” von Ghulam Ali komponiert?
Das Lied “Ret Par Likh Ke Mera Naam” von Ghulam Ali wurde von GHULAM ALI, MOHSIN NAQVI, RAFIQUE HUSSAIN komponiert.

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