Sham Ke Waqt Jaam Yaad Aaya

GHULAM ALI, MOHSIN NAQVI

शाम के वक़्त जाम याद आया
शाम के वक़्त जाम याद आया
कितना दिलचस्प काम याद आया
शाम के वक़्त जाम याद आया

जब भी देखा कोई हसीन चेहरा
जब भी देखा कोई हसीन चेहरा
मुझा को तेरा सलाम याद आया
मुझा को तेरा सलाम याद आया
कितना दिलचस्प काम याद आया
शाम के वक़्त जाम याद आया

सुनके किससे कूड़ा की आजमात के
सुनके किससे कूड़ा की आजमात के
सुनके किससे कूड़ा की आजमात के
आदमी का मकाम याद आया
आदमी का मकाम याद आया

बांसरी की नवा को तेज़्ज़ करो
बांसरी की नवा को तेज़्ज़ करो
आज राधा को श्याम याद आया
आज राधा को श्याम याद आया
शाम के वक़्त जाम याद आया

बंसरी की नवा को तेज करो
बंसरी की नवा को तेज करो
आज राधा को शाम याद आया
आज राधा को शाम याद आया
शाम के वक़्त जाम याद आया

सहने मस्जिद में भी हमे मोहसिन
सहने मस्जिद में भी हमे मोहसिन
मैयकड़े का कायम याद आया
मैयकड़े का कायम याद आया
कितना दिलचस्प काम याद आया
शाम के वक़्त जाम याद आया

Wissenswertes über das Lied Sham Ke Waqt Jaam Yaad Aaya von Ghulam Ali

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Das Lied “Sham Ke Waqt Jaam Yaad Aaya” von Ghulam Ali wurde von GHULAM ALI, MOHSIN NAQVI komponiert.

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