Kuch Bol Ki Khamoshiyan
RAVINDRA JAIN
कुछ बोलके खामोशियाँ तड़पाने लगी हैं
चुप रेहने से मजबूरीयाँ याद आने लगी हैं
तू भी मेरी तरह हंस ले आँसू पलकों पे थाम ले
तू भी मेरी तरह हंस ले आँसू पलकों पे थाम ले
जितनी है खुशी ये भी अश्कों में ना बेह जाए