Beparda

ROHAN GOKHALE, ROHAN ROHAN, SAAD KHAN

अन्द्रो चली है जंग सदियों से
बाहिर तू सुकून कीवे दिखावा
दुनिया तों छुपके रह सकदा है तू
खुद नू खुद से कीवे छुपवा
हासिल किती तू अपनी असली पहचान अज
जो तू हमेशा था अज दुनिया नू दिखावा

कैसे कैसे लम्हे आते हैं
मन में कई सवाल लाते हैं
खोए थे हम नज़ाने कहा
जो आज खुदसे मिलने आए हैं
पल भर थी दूरिया
पल भर थी हस्तिया
पल भर का ये सफ़र
लगे सदियों सा
बेपर्दा बेपर्दा बेरागी
रूह ने रुतबा पाया रे
बेपर्दा बेपर्दा अब जाके
मैं ने खुद को पाया रे

इश्क़ मेरा बेजुबान है
नैनों से कहे दिल के दासता
संग तेरे मै फूज़सा लगे
अब ना लगे तन्हा रास्ता
पल भर की दूरिया
है ब नज़दीकिया
पल भर मैं ही
तुझे आपना सा कर लिया
बेपर्दा बेपर्दा बेरागी
रूह ने रुतबा पाया रे
बेपर्दा बेपर्दा अब जाके
मैं ने खुद को पाया रे

मेरे जज़्बातों के जो रंग हैं
कभी मासूम कभी मलंग हैं
जो भी देखा अनोखा सा यहाँ
हर वो एक रंग अब मेरे संग है
पल भर में दिल जुड़ा
पल भर में तन्हा
पल भर का ये सफ़र
लगे सदियों सा
बेपर्दा बेपर्दा बेरागी
रूह ने रुतबा पाया रे
बेपर्दा बेपर्दा अब जाके
मैने खुद को पाया रे

मन का मन का गिनता जा रे
मन की ही अब सुनता जा रे
कल तक था एक तू बंजारा
अब जा के तुझको पाया रे
मन का मन का गिनता जा रे (मन का मन का गिनता जा रे)
मन की ही अब सुनता जा रे (मन का मन का गिनता जा रे)
कल तक था एक तू बंजारा (मन का मन का गिनता जा रे)
अब जा के तुझको पाया रे (मन का मन का गिनता जा रे)
मन का मन का गिनता जा रे (मन का मन का गिनता जा रे)
मन की ही अब सुनता जा रे (मन का मन का गिनता जा रे)
कल तक था एक तू बंजारा (मन का मन का गिनता जा रे)
अब जा के तुझको पाया रे (मन का मन का गिनता जा रे) (आ आ )

Wissenswertes über das Lied Beparda von Rekha Bhardwaj

Wer hat das Lied “Beparda” von Rekha Bhardwaj komponiert?
Das Lied “Beparda” von Rekha Bhardwaj wurde von ROHAN GOKHALE, ROHAN ROHAN, SAAD KHAN komponiert.

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